योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
बृहस्पतिदेव की कथा
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
त्राहि Shiv chaisa त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥ सहस कमल में हो रहे धारी ।
पाठ पूरा shiv chalisa in hindi हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥